मेरा अपना ब्लॉग " नीरु की दुनिया "
प्रारम्भ से अंत के तरफ जाते हुए कुछ बात जहाँ रुक कर सुन्ना था।
अनुभव का एक मकड़ा जाला बुनना था।
इस ब्लॉग के माध्यम में आपतक पहुंचना चाहती हूँ...
आनन् फानन ब्लॉग निर्माण प्रारम्भ का पता नहीं... अंत पता नही बस कच्चा पक्का एक सोंच और आगे एक पहाड़ सी जिंदगी चलिए यहीं से शुरुवात करते है....
निरु की दुनिया में आपका स्वागत है.....
दो कमरों इंसान रहता है मगर एक इंसान में जाने कितने कमरे रहते हैं.... कुछ कमरे जो खुले हैं सभी के लिए और कुछ बिलकुल बंद कई तालों में।
कुछ कमरों को बंद करना पढता है। ... वहीं कुछ कमरों के ताले खुलने चाहिए।
चलिए यहीं से शुरुवात करते हैं.....
Nice
ReplyDelete